केदारघाटी की आवाज हुई खामोश,नम आखों से विदाई,दूर से सिसकते रहे लोग,
केदारघाटी की आवाज हुई खामोश
गॉव से लेकर विधानसभा में गुंजने वाली आवाज अब नहीं सुनाई देगी।
केदारघाटी के लेागों की लड़ाई अब विधानसभा में सुनाई नहीं देगी।
ना जन्म भूमि ना पितृ भूमि लेकिन केदारघाटी को बनाया अपनी कर्मभूमि
ये आवाज आज पच्चतत्व में विलिन होकर खामोश हो गयी। केदारघाटी की शैला दीदी आज अपनी बुलंद आवाज से सबको खामोश करके चली गयी ।
सब हैरान और परेशान इतनी जल्दी छोड़कर चली गयी।
महान व्यक्तित्व की धनी दृड़ इच्छा शक्ति रखने वानी बुलंद आवाज से सबको खामोश करने वाली केदारनाथ की विधायक शैलारानी का व्यक्त्तव ही उनका परिचय था जो काम कोई नहीं कर सकता था वो काम शैला खुद करके अपनी आवाज को बुलंद कर देती थी। लाखों लोगों के बीच में शैला की आवाज से ही लोग समझ जाते थे कि ये विकास की आवाज हैं लेकिन आज खामोश हो गयी।
बायोडाटा Jul 10, 2024 (4)
नम आखों से दी लोगों ने विदाई
अगस्त्यमुनि से बनाई अपनी कर्मभूमि
ऋृषि अगस्त्य मुनि जी महाराज की तप्तस्थली से अपनी जीवन की यात्रा की शुरूवात की थी। मैं आपकों बता दू कि शैलारानी रावत की न तो केदारघाटी जन्म भूमि और न ही पितृभूमि हैं लेकिन आज कर्मभूमि बनाकर सबके दिलों में राज करने वाली शैलारानी रावत के बारे में सभी यही पूछते हैं कि किस प्रकार से जूझारू दंबग महिला होने के नाते अपने को स्थापित किया जनपद रूद्रप्रयाग के केदारघाटी से विधानसभा और केन्द्र तक।