घर हुए खण्ड़हर लेकिन टैटं लगाकर करेगें क्षीर भवानी की पूजा अर्चना।

हरेन्द्र नेगी गांव तक लाइब
35 साल बाद देवी ने घर बुलाया जनशून्य गॉव के 31 परिवारों को ।
अब कर रहे हैं देवी की सामूहिक रूप से पूजा अर्चना ।
घर हुए खण्ड़हर लेकिन टैटं लगाकर करेगें क्षीर भवानी की पूजा अर्चना।
पूरा गॉव है जनशून्य संडक, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाओं के अभाव में हुआ ये गॉव जनशून्य।
35 वर्ष बाद होगी पलायन गॉव कपलखिल गॉव में क्षीर भवानी,नागराजा,नृहसिहं की पूजा अर्चना, 33 साल बाद होगा जनश्ून्य गॉव में कोई धार्मिक अनुष्ठान ,ढोल की थाप में गूजेगी क्षीर भवानी की किलकाली और नृहसिह नागराजा की किलकारी, 32 साल बाद देखेगी ध्यिाणी अपने मायके का रास्ता।
ये खबर सूनने और पढ़ने और जानने में भले अजीव सी लग रही होगी । लेकिन हकीकत में एैसा ही है। पलायन समाज में एक सतत् प्रक्रिया है लेकिन कुछ पलायन समाज के पहेरेदारों किया जाय तो उससे पलायन नहीं कहते हैं उससे मजबूरी कहते है। जो जिन्दा हो और उससे समाज के पहरेदार जीते जी मरा घोषित कर दे तो उससे जीना नहीं कहते है।समाज में अपना हक मागने का सबको अधिकारी है । लेकिन कुछ पहरेदार है ऐसे है कि जो आज के समाज में लोगों मजबूर कर देते है। एैसा ही एक विभाग हैं रूद्रप्रयाग का जिसका नाम है। लोकनिर्माण विभाग जिसको सडक की जिम्मेदारी दी गई है। जिसकों गांव गांव तक संडक पहॅूचाने के लिए जिले में नियुक्त किया गया है। उसका काम केवल सडंक मार्ग को गांव तक जोड़ना है। गॉव वाले 1952 से संडक की मांग करते करते थक हार गये लेकिन विभाग है कि गांव वालों की समस्या को सुनने को जरा सी भी तैयार हो केवल उलझन में उलाझा के रख रखा हैं 8 किलोमीटर संडक बनाने के लिए 75 साल गुजर गये लेकिन संडक गांव तक नहीं पहॅूची और गांव वालों ने अपने सुख सुविधा और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और याता यात के लिए गांव ही खाल कर दिये । और जनपद रूद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि विकास के खण्ड़ के तीन गांव जनशून्य हो गये इनमें एक गांव नवासू ग्राम सभा का कपलखिल , दूसरा बंगोली ग्राम सभा का ढिंगणी गांव और तीसरा चाम्यू गांव जो जन शून्य की कगार पर है। लेकिन आज भी लोकनिर्माण विभाग 8 किलोमीटर संडक को पहॅूचाने में 75 वर्ष बीत गये लेकिन आज तक संडक नहीं पहॅूची।
1992 में आखिरी बार इस गांव में कोई धार्मिक अनुष्ठान किया गया था तब से आज तक कोई भी अनुष्ठान इस गांव में नहीं हो पाया। आज एक बार फिर से गांव में कुछ ग्रामीणों ने सहास कर अपने देवी देवताओं को पूजंने के लिए संकल्प लिया है। कि संडक नहीं आयेगी तो क्या हम अपने अराध्य देवी देवताओं की पूजा नहीं करेगें चाहिये गांव खण्डर हो गया हो लेकिन टैंट में रहेगे लेकिन अपनी कुल देवी देवताओं की पूज अर्चना जरूर करेगे।
कपलखिल गांव में सभी परिवार असवाल लोग रहे हैं इन लोगांं का मूल गांव पौडी के असवाल सिहं में पडता हैं इनकी कुल देवी खैरालिंग जिससे क्षीरलिंग के नाम से भी जाना जाता है। क्षीर लिंग शिव पार्वती जिससे क्षीर भवानी के नाम से भी पुकारा जाता हैं ये इनकी कुल देवी है। 1990 के दशक में 31 परिवार निवास रत थे लेकिन परिस्थितियों के कारण संबको गांव छोड़ना पड़ा समय पर ये गांव काफी समृद्धि गांव माना जाता था क्येंकि यहां पर सेरा व उखड़ दोनों किस्म की खेती बाडी गांव में की जाती थी , हर प्रकार की सुविधा थी लेकिन केवल नहीं थी सडंक शिक्षा और स्वास्थ्य इन तीन चीचों की कमी आज भी खलती हैं जो आज भी नहीं हैं इसी लिए गांव पलायन हो गया। आज भी ग्रामीणों को तीन से चार किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। जिसके कारण लोगों ने गांव छोड दिया।
आज भी ग्रामीण आश पर है कि कम सडंक गांव से जुडेगी और कब हम लोग अपने गांव वापस आयेगें। और अपने गांव की खुशहाली फिर से देख पायेगे। गांव में आज लगभग 10 से 15 परिवार के लोग देव पूजन में वापस आये देवी की कृपा से एक बार गांव के लोगों को गांव देखने का मौका मिला है। और सोच रहे हैं कि फिर से गांव में खण्डहर हुए घरों को दोबारा से बनायेगें और यहीं 1 महिने 6 महिने में अपने गांव आकर खुद मिटायेगें।
ग्रामीण क्षेत्री प्रतिनिधियों पर आरोप लगा रहा है कि अगर उनके द्धारा इन 6 गावों की सही तरीके से पैरवी की जाती तो शायद इन गावों का भला होता और न ही ये गांव खाली होते क्येंकि सबसे मुख्य संडक मार्ग हैं आज पैदल रास्ते नहीं है आने जाने के शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था नहीं हैं रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं हैं कोई अगर बिमार हो गया तो कहां जायेगा कौन ले जायेगा। उसको वो ऐसे ही मर जायेगा इन बीरान पडें गांवों में इस लिए तो सभी लोग यहां से पलायन करके चले गये आज भी आस पर है कि संडक आ जाती तो क्यो ंहम लोग उस गर्मी में मरते अपने घर में रहते ठन्डी हवा में।
हरेन्द्र असवाल स्थानीय निवासी कपलखिल
मनवर सिहं असवाल स्थानीय निवासी कपलखिल