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पूरे भारत वर्ष में भगवान कर्माजीत जी का एक मात्र मंदिर

रूद्रप्रयाग जनपद के पिल्लू गॉव में भगवान कर्माजीत जी का मंदिर

पूरे देश में भगवान कर्माजीत जी का एक मात्र मंदिर ।
रूद्रप्रयाग जनपद के पिल्लू गॉव में भगवान कर्माजीत जी का मंदिर
उत्तराखण्ड़ के गढ़वाल मण्डल के रूद्रप्रयाग जनपद के पिल्लू गॉव में एक एैसा मंदिर हैं जहां स्वंम भगवान कर्माजीत विराजमान है। जिन्हे कर्माजीत जी देवता के नाम से भी जाना और पूजा जाता है। इनकें क्षेत्रपाल जी इनके अंग रक्षक के रूप में सदैव इनके साथ चलते हैं।
भगवान कर्माजीत जी का मंदिर पिल्लू गॉव जो रूद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि विकास खण्ड़ में पड़ता है। इस स्थान तक पहॅूचने के लिए आप गूगल मैप का भी उपयोग कर सकते हैं या आप गूगल मैप में सर्च कर सकते हैं। आपको रूद्रप्रयाग गौरीकुण्ड राजमार्ग से होते हुए अगस्त्यमुनि बेडूबंगड से 30 और सौड़ी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर पिल्लू गॉव जो सड़क से 50 मीटर की दूरी पर लगा यह मंदिर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान कर्माजीत के मंदिर में साल भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है। इस मंदिर की बड़ी ही विशेषता है।
पूरे भारत वषर््ा में नागों के देवता यानि कर्माजीत का मंदिर एक मात्र मंदिर हैं जहां सर्प दंश से पीडित व्यक्ति इस मंदिर में लाकर पूजा पाठ कर भगवान कर्माजीत से अपने कष्टों को दूर करने के लिए जप, तप, यज्ञ, पाठ पूजा करने के बाद भगवान कर्माजीत उनके पापों का निवारण स्वंम कर लेते है। जिन्हे स्पन्न और सामने दिखाई देता है या सांप द्धारा काटने पर उस व्यक्ति को मंदिर में लाकर उस पर मंदिर की पिठाई लगाने से वह व्यक्ति ठीक हो जाता हैं खुशी -खुशी घर वापस चला जाता है। सर्प के काटने वाले सालभर में एक दो लोग क्षेत्र के मंदिर में आ ही जाते है, जो ठीक होकर वापस चले जाते हैं। उन्हे अस्पताल के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं। वह स्वस्थ होकर घर चला जाता हैं एैसी बडी महिमा हैं कर्माजीत की। जो कोई भी व्यक्ति इस स्थान पर नहीं पहॅूच पाता है। अगर वह व्यक्ति भगवान कर्माजीत की भेंट पांवड़ा किसी भी व्यक्ति के पास दे देता हैं। तो वह सर्पदशं से मुक्त हो जाता हैं उससे सर्प दिखाई ही नहीं देते है। एैसी बड़ी महिमा हैं भगवान कर्माजीत जी की।
गॉव के पुजारी भटट जी कहते हैं कि गॉव की एक समिति है। जो भगवान की पूजा करने की और डोली को कब देवरा ले जाना हैं फैसला करती है। और क्षेत्रपाल जी जो भी निर्णय लेगें उन्ही के कहने पर वर्षवार पूजा अर्चना की जाती है।
कर्माजीत की विशेषता-भगवान कर्माजीत जी के जिस प्रकार पोस्ट आफिस के बाक्स बाजारों में लगे रहते हैं जिस पर लोगों द्धारा चिठठी पत्री डाली जाती है। वैसे ही कर्माजीत जी के गांव गांव शहर शहर चैाराहे पर बॉक्स लगे रहते थे जिनमें कर्माजीत की भेंड लिफाफे में डाल कर मंदिर तक लोग पहॅूचाते थे और गांव गांव में लोग कर्माजीत की भेंट भी मांगते थे। लेकिन अब बहुत कम ही दिखाई देते हैं जब से गूगल पेंमेट हो गयी है।

पुण्डय लाभ:-जो भक्त दुख दर्द लेकर भगवान कर्माजीत जी के मंदिर में पहॅूचता हैं। उसका दुख दर्द भगवान स्वंम हर लेते हैं और उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। एैसे हैं कर्माजीत जी अगर आप भी दुखों से पीड़ित है। तो जरूर एक बार भगवान कर्माजीत जी का स्मरण कर उनके दुख दूर हो जायेगें।
नये अनाज का भोग:- पहाड़ों में साल में दो फसल होती हैं धान की फसल और रवि यानि गेहॅू की फसल भगवान को नये अनाज का भेाग नये गेहॅू का आटा और नये धान के बुखड़ा या चूड़ा सर्व प्रथम भगवान को भेंट/चढाये जाते है। नये अनाज को काटने के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है और दिन वार तय किया जाता है। एैसी बड़ी महिमा है। भगवान कर्माजीत जी की।किसी भी व्यक्ति को क्षेत्र में कोई सांप नहीं दिखाई देता है।

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