देवभूमि की धरोहर खा रही है धक्के संडक के किनारे
देवभूमि की धरोहर खा रही है धक्के संडक के किनारे ।
उत्तराखण्ड़ की एक धरोहर हुई बिलुप्त।
अब कभी नहीं दिखाई देगा गॉव में परिया
परिया का रूप ले लिया हैं बिजली की मशीन ने
गॉव घरों में कई सदीयों तक राज करने वाले परिया का अस्तित्व हुआ समाप्त।
पहाड़ों में पशुपालन का काम भी कम होने से लेागों ने इससे भी दूरी बना दी।
सदीयों तक राज करने वाला और गॉव घरों में दूध, दही, छांछ की नदियां बहने वाले गॉवों में अब उत्तराखण्ड़ की धरोहर जिससे छांछ छोलने और दूध दही और छांछ को रखने के काम आने वाले परिया विलुप्त हो गया है। अब उसकी जगह चीनी मिटटी के बर्तन और बिजली की मशीन जिससे छांछ मथने का काम किया जा रहा है। अब ये परिया संडक के किनारे धक्के खा रहा है।
एक जमाना था जब उत्तराखण्ड़ देव भूमि के गॉवों में संदियों तक राज करने वाले सांदड की लकड़ी से बना परिया आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कभी गरीबी लोगों को घरों में संदियो तक घी दूध दही छांछ से भरा परिया की अपनी धमक थी लेकिन आज वहीं धमक संडक किनारे पड़ी दिख रही है। आज उसकों कोई पूछने वाला कोई नहीं हैं घरों से निकल कर घर के किनारे धक्के खा रहा है। कभी वह प्रत्येक घर में राज करता था लेकिन आज उसकी जगह चीनी मिटटी के मढकी ने ले ली है। जहां जहंा दही मथने के लिए लकड़ी के बने चार मुहॅू वाले रौडे का प्रयोग किया जाता था आज उस पर बिजली के मशीन की रौड ने कब्जा कर लिया है।
पहले घर में ये चीजें पाई जाती थी जिसके घर में नहीं होता था वह दूसरे के घर मांग कर अपना छांछ मथने छोलने के बाद वापस कर देता था तब तो गांव दूध दही मखन्न की नंदिया बहती थी लेकिन आज गांव के गांव खाली हो गये है। गाय भैसंे बकरी पालना बंद हो गया है। गाय भैसें की जगह कुत्तो ने लोगों घरो में जगह बना दी है। जहां गांव के केवल दो चार कुत्ते ही गांव की सुरक्षा के लिए रहते थे। लेकिन आज घरों गांय की जगह कुत्ते ने ली है। और ये सब कुछ समाप्ति की ओर आ गया हैं जिससे आज परिया का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है।
हरेन्द्र नेगी गांवतक लाइब डांट काम पर देखिये आप अपनी रांय जरूर दे लाइक संस्कराब एवं कमेंट जरूर दे।