स्पेशल स्टोरी-रात दिन कर रहे हैं ग्रामीण जग्वाली
स्पेशल स्टोरी
गॉव के सारे लोग चौकीदार बने हुए हैं।
रात दिन कर रहे हैं ग्रामीण जग्वाली
ग्रामीणों की रात दिन और 6 महिने की मेहनत पर जंगली जानवर फेर रहे हैं पानी,
पहाड़ के आधा से अधिक गांव खाली हो गये हैं गॉवों में कुछ लेाग जो अपनी दैनिक दिन चर्या और अपने बच्चों की आजीविका का जीवका अर्जन अपने इन सीढ़ीनुमा खेतों में कड़ी मेहनत कर दो जून की रोटी से अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। लेकिन इनकी 6 महीने की सारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं इसीलिए ये लेाग रात दिन चौकीदार कर रहे है
आज हम आपको एैसी तस्बीरे दिखा रहे हैं जो बेचार रात दिन अपनी पकी हुई फसल को बचाने में लगे हुए हैं देखिये इन ग्रामीणों की पीड़ा को पहले इन लोगों द्धारा जब खेत में बीज बोया तो सूवर और बंदर , लंगूरों द्धारा बीज को खेत खेाद कर खा लिया अब कुछ फसल हुई तो रात को इन लोगों के ख्ेातोें सूवर नुकसान कर रहा है और दिन में बंदर और लगूर नुकसान कर रहे है पहाड़ के गॉव के गॉव इन दिनों अपनी फसल को बचाने के लिए रात को जगवाली कर रहे है इनमें महिलाये और पुरूष दोनों हैं बेचारे गुलदार की डर से रात को कंटर ढोल बाजे जिससे भी उंची आवाज आती हैं उसको बचा रहे हैं और रात को उचंी उंची आवाज में चिल्ला रहे हैं दिन में बदरों से फसल की चौकीदारी कर रहे हैं इन लोगों कहना है कि रात को अपने छोटे छोटे बच्चों को सुला कर रात को अपने खेतो और फसल की चौकीदारी कर रहे हैं
इस मैासम ने साथ दिया तो धान, साटी, गोदा झंगोरा, मनडुवा, दाल एवं अन्य सभी बरसाती फसल बहुत ही सुन्दर हो रखी हैं लेकिन सूवर रात को फसल को चपट कर रहा है और दिन को बंदर लगूंर और पक्षी चपट कर रहे हैं इसलिए रात दिन पहरा देना पड़ रहा है।
जब हमने इस खबर पर तत्य जुटाये तो केदारनाथ की विघायक शैलारानी रावत द्धारा कहना था की मैने विधानसभा मैं प्रश्न किया तब लोग मेरे इस सवाल पर हसने लगे लेकिन आज ये सबकी समस्या बन गयी है तेा वहीं उखीमठ के ग्रामीणों द्धारा कई लोगों केा बंदरो द्धारा घायल करने पर और लोगों और स्कूली बच्चों का घर से निकलना मुसकिल हो गया तो लोगों द्धारा उखीमठ में प्रदर्शन किया गया और अपनी आवाज को उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया, अगर समय पर निराकरण नहीं हुआ तो आन्दोलन की चेतावनी दी गयी हैं जबकी जिला मुख्यालय पर प्रर्दशन करने का अल्टीमेटम दिया गया है। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि पहाड़ को पलायन करने का आधा से ज्यादा हाथ जंगली जानवरों का है क्योंकि लोग आज खेती करना छोड़ रहे हैं उसका सीधा कारण है तो जगंली जानवरों के आंतक से ग्रामीणों ने खेती करना छोड दिया है और गांव के गॉव खाली हो गये हैं और खेती बंजर पड़ गयी हैं जबकि बरसात में पहाड़ों में 6 महीने तक आराम से लोग अपनी खेती कर बैठकर खा सकते थे लेकिन आज घर से बेघर कर दिया है जंगली जानवरों ने जो लोग आज भी अपनी संस्कृति और अपनी खेती बाड़ी को बचाने में लगे हैं उनको अगर समय रहते सुरक्षा नहीं मिली तो ये भी देखने को नहीं मिलेगा।