देवभूमि से खास— जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
देवभूमि से खास
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।। अर्थात, जहां आपने जन्म लिया है वह स्वर्ग से भी बड़ी भूमि है।।।
अर्थातः जहां आपने जन्म लिया है वह स्वर्ग से भी बड़ी भूमि है। यानि देवभूमि जहां पर देवताओं का वास होता है।
जहां निरन्तर पावन पवित्र मॉ गंगा और यमुना, सतत् बहती रहती है। हम उस देव भूमि को स्वर्ग के समान मानते है। ऐसा ही एक चारधामों में मॉ गंगा और मॉ यमुना का पवित्र धाम गंगोत्री यमनोत्री है। ये शिव की भूमि जहां स्वंम 12वे ज्येार्तिलिंग में ग्याहरवें ज्येार्तिलिंग हिमालय में विराजमान चारधामों में भगवान केदारनाथ जी जिनके दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मुक्ती मिल जाती है।
आज हम बात कर रहे हैं कि चार धामों की गंगोत्री धाम जहां मॉ गंगोत्री के कपाट शीतकाल के लिए गोर्बधन पूजा के दिन देश विदेश के श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल के लिए 6 माह के लिए बंद हो गये तो वहीं आज द्धितीय धाम मॉ यमोत्री के कपाट भैयादूज के पवित्र पावन अवसर पर आज ठीक 12 बजकर 5 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हेा गये। तो वहीं आज देवों के देव महादेव भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर देश विदेश के श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल के लिए बंद हो गये।
अब हम आपको चैाथे धाम भगवान बैकुण्ड के कपाट 17 नवम्बर केा श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जायेगे। तो वहीं पंच केदारों में विश्व की सबसे उंची चोटी पर विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ जी के कपाट कल 4 नवम्बर को शीतकाल के लिए देश विदेश श्रद्धालुअेां के लिए बंद हो जायेगे। उच्चय हिमालय तुंगशिखरों में बिराजने वाले देवों के देव अब शीतकाल प्रवास के लिए अपने अपने शीतकालीन गददीस्थलों के लिए अपने अपने धामों में पहॅूच रहे है। और ये प्रक्रिया निरन्तर आदिकाल से चली आरही है। जिसका निर्वहन आज भी बडें भक्ती भाव से करते आ रहे हैं। ऐसा मनोयोग और मनोहारी दृश्य को देखकर स्वंम भगवान को स्मर्ण कर भाव उत्पन्न हो जाता है। एैसी है। देवों की महिमा जिसका बर्णन न हम कर सकते है और ना ही भविष्य में कोई कर सकता है। बस एक संदेश ही हम दे सकते हैं।