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केदारनाथ जी के पुराने पैदल मार्ग पर जल्द ही रौनक दिखने लगेगी रामबाड़ा गरूड़चटटी वाले रास्ते पर

कटिगं का 70 से 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका महज 20 प्रतिशत कार्य शेष

जल्द ही रौनक दिखने लगेगी रामबाड़ा गरूड़चटटी वाले रास्ते पर।
कम दूरी कम समय ज्यादा सुरक्षीत मार्ग से सुविधा मिलेगी केदारनाथ आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को
बस थोड़ा बहुत और इंतजार करना पडेगा देश -विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को।
मजबूत इरादों के साथ जिले का विकास कर रहे हैं जनपद के जिलाधिकारी ।
लोगों की दूर दृष्टि से पहिचान दिलाने में अग्र बीर की भूमिका में रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी ।

केदारनाथ के श्रद्धालुओं आपको जल्द ही एक खुश खबरी देखने और चलने के लिए मिलने वाली हैं ये खुश खबरी केदारनाथ दर्शन करने वाले पैदल जाने वाले भक्तों के लिए हैं खुश खबरी केदारनाथ जाने वाले पुराने मार्ग से है भक्तों के लिए रामवाड़ा वाला पुराना मार्ग जल्द ही बनने जा रहा है। 2013 में जिस मार्ग से केदारनाथ के लिए आवाजाही होती थी वह मार्ग आपदा के दौरान रामबाड़ा से गरूड़ चटटी तक मार्ग पूर्णतहः से छतिग्रस्त हो गया था। केवल गरूड़चटटी से केदारनाथ आगे मार्ग ठीक था और वहां तक आवाजाही होती रहती हैं । एक बार फिर से जिला प्रशासन द्धारा निर्माण कार्य की स्वीकृति ली गयी । रामाबाड़ा से गरूड़चटटी के लिए पैदल मार्ग का निर्माण कार्य जोर -शोर पर चल रहा है। 5 किलोमीटर लम्बा मार्ग पर निर्माण कार्य चल रहा है। जो जल्द ही पूरा होने के बाद श्रद्धालुओं की आवाजाही इस मार्ग से भी होनी शुरू हो जायेगी। तीन से चार ठेकेदार इस कार्य को पूर्ण करने में लगे हुए है। लेकिन इन दिनों बर्फबारी के कारण काम अबरूद्ध हो रखा है बाबा की कृपा रहेगी तो जुलाई अगस्त में यात्रियों को इस मार्ग से आवाजाही करने को मिलेगी। इस पैदल मार्ग का निर्माण के लिए सरकार द्धारा 5 करोड़ पचास लाख की धनराशि स्वीकृत की गयी है। जिसके लिए तीन से चार ठेकेदार कार्य कर रहे है। पैदल मार्ग पर हार्ड रॉक होने के कारण मार्ग बनाने में कठिनाई आ रही है लेकिन मजबूति होने के साथ- साथ सुरक्षा भी निश्चित है।

भगवान केदारनाथ जी के दर पर जाने के लिए श्रद्धालु किस प्रकार से अति उत्साहित रहते हैं उसका जीता जाता उदाहरण 2024 की यात्रा से अनुमान लगा सकते हैं। कठिन रास्ता धूप बारिश और श्रद्धालुओं की परीक्षा भगवान भोले नाथ लेते रहते हैं लेकिन भगवान भोले अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करते हैं। सोनप्रयाग से गौरीकुण्ड और गौरीकुण्ड से रामवाणा, छोटी लिनचोली, बडी लिनचोली, देवदर्शनी एवं केदारनाथ की खड़ी चढाई और भक्तों का सैलाव दिखाई देता है। इसी मार्ग पर घोडें खच्चर, डन्डी कण्डी, पैदल यात्रि, टैक्ट्रृर से लदा सामान, मार्ग पर बम बोले के जयकारों से गुन्ज्यामान रहता है। नीचे से उपर और उपर से नीचे की ओर आते जाते श्रद्धालु बम -बम भोले के जयकारे । कठिन चढाई को पार कर लेते है। 17 किलोमीटर की खड़ी चढाई भोले के दर्शन में पता ही नहीं चलता।

वहीं गुप्तकाशी लोकनिर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता विनय झिंकवाण ने बताया कि 70 से 80 प्रतिशत कच्चा निर्माण कार्य पूरा हे चुका हैं मात्र अब 20 प्रतिशत कार्य ही कटिंग का शेष रह गया है। बाकी खंडिचा एवं नाली एवं स्कबर, सीमेंट की दीवार ये सब कार्य कटिंग के बाद पूरी होगी फिलहाल 20 प्रतिशत कार्य कटिगं का शेष हैं जो जुलाई अगस्त बनकर पूर्ण हो जायेगा। बाबा केदार की कृपा देश- बिदेश से उनके दर पर आने वाले भक्तों पर हमेशा से ही बनी रहती है। चाहे भक्त अपने शंकर को किस रूप में देखते हैं चाहे आकार या निराकार रूप में देखें, भगवान भेले हमेशा दया की दृष्टि सदैव भक्तों पर बना कर रखते हैं। और किसी को निराश नहीं होने देते हैं। अब जल्द ही भोले को प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु किस मार्ग को अपननाते है ये भोले बाबा ही जाने ।

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