मेरा लाटा-अब जाणी सड़क गौं मॉ जब सभी चलगीन गौं का लोग शहर मॉ
गांव को दूर से निहारती पत्थरीली आखें-मेरा लाटा कब आली यख सड़क ,
मेरा लाटा-अब जाणी सड़क गौं मॉ जब सभी चलगीन गौं का लोग शहर मॉ।
नरेन्द्र सिहं नेगी जी का वो गाना यादा आता हैं कि खैरी का अन्धेरों मॉ खुजायॅू बाटू -ये पक्तियां सटीक बैठती हैं न्याय पंचायत पौड़ीखाल के बच्छणस्यॅू पटटी के इन 8 गॉवों पर , कभी- कभी हैरानी भी होती हैं जब हम एक दूसरे से आपस में संवाद करते है कि हमारे इतने गॉव आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी सड़क मार्ग से नहीं जुड पायी है है न हैरानी एक नहीं 8 गॉवों के लिए सड़क मार्ग से जोडने के लिए आज भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा हैं छोटे अधिकारी से लेकर जिले के प्रशासक और शासक से क्षेत्र के गांव के प्रधान से लेकर मंत्री, सांसद, विघायक तक गुहार लगाते -लगाते थक चुके हैं लेकिन किसके पिताजी की संडक, आज कल, कल- कल में 75 वर्ष बीत गये लेकिन लोकनिर्माण विभाग को 7 किलोमीटर रोड़ की सर्वे को नापते नापते 76 वर्ष गुजर गये है। लेकिन इन गॉवों की 7 किलोमीटर की सड़क का आज भी भौगोलिक और जमीन सर्वे आज भी चल रहा है वाह क्या बात है।
1952 की एलबीआर सड़ंक न्याय पंचायत को जोड़ने के लिए बनी थी।
न्याय पंचायत पौड़ीखाल को जोड़ने के लिए आजादी के पहले दशक 1952 में सड़क की स्वीकृति और 1 किलोमीटर एलबीआर सड़क का निर्माण हो चुका था। लेकिन लोकनिर्माण विभाग के इंजिनियरों की कार्यशैली इतनी सुदृड की डीएम, कमीश्नर विधायक मंत्री संतरी को भी धता बता दे।
शायद चुनाव का लौलीपाप तो नहीं।
अब लोक सभा चुनाव सिर पर है और गांव के लोगों का विरोध आज से नहीं वर्षाे से होता आ रहा हैं क्या इसी को देखते हुए इन गॉवो ंका संज्ञान लिया गया है, कि लोगों का मुहॅू कैसे चुप कराये। जो मौखिक और भौगोलिक सर्वे किया जा रहा है और देश- विदेश से गणमांन्य लोग इन अधिकारीयों के साथ इस क्षेत्र का और गांव का भ्रमण किया जा रहा है क्या ये लौलीपाप तो नहीं।
पौड़ीखाल मंदिर तक की स्वीकृति लेकिन विभाग की कार्य कराने की एनओसी नहीं।
क्या होती हैं ये विभाग की एनओसी आज हम आपको समझा देते हैं विभाग ने एक किलोमीटर दो किलोमीटर की सैद्धान्तिक स्वीकृति तैयार कर दी हैं और शासन द्धारा इस सड़क को आगे काटने के लिए मंजरी दे दी हैं पैसा भी खाते में आ गया हैं लेकिन संडक काटने के लिए अभी मंजूरी नहीं दी है। जब शासन द्धारा सैद्धान्धिक स्वीकृति मिलेगी तब विभाग फिर इस पर निविदा निकालेगा और जिस ठेकेदार को काम मिलेगा तभी काम शुरू होगा लेकिन अभी शासन की सैधान्तिक स्वीकृति की अभिलाषा बाकी है।कब तक आयेगी ये नहीं कहा जा सकता।
सड़क के अभाव में -उजडते गॉव /या जनशून्य होते गांव
खांकरा से अगर सड़क मार्ग से जोड़ते हैं तो अंतिम गांव की दूरी कुल 2 किलोमीटर, अगर गहड़खाल से कपलखिल गांव को सड़क से जोड़ते है। तो महज दो किलोमीटर की दूरी गहराई के कारण से नहीं जुड पाया। आज भी ये गॉव जनशून्य की कगार पर खडे हैं जैसे ढिगणी गांव 20 परिवार निवास रत लेकिन आज जनशून्य, कपलखिल भी एक परिवार निवासरत, बाकी सभी 20 परिवार पलायन चाम्यू में 20 परिवार लेकिन वर्तमान समय निवासरत एक परिवार वह भी बृद्ध दम्पति, निषणी में भी ऐसे ही 20 से 25 परिवार निवासरत थे लेकिन संडक न होने के कारण धीरे -धीरे पलायन की ओर गांव खाली होते गय,े सड़क की आस में आंखे पत्थरीली होती चली गयी लेकिन न आ पाई आज भी सड़क बृद्ध लोग आने जाने वाले से यही पूछते हैं कि सड़क कब आयेगी। देखदा देखदा बूढया हवेगीन।
आज भी क्षेत्र के लिए अपनी जन्मभूमि को देखने और अपने गांव केा सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए रात दिन लोकनिर्माण विभाग जिला प्रशासन विधायक सांसद और मंत्री के चक्कर काट रहे हैं लेकिन सड़क की आश है कि छोडती नहीं और विभाग है कि टस से मस होता नही।