गढ़वाली मुहावरे के द्वारा सांसद बलूनी ने किया उत्तराखंड की आपदा का जिक्र
गढ़वाली मुहावरे के द्वारा सांसद बलूनी ने किया उत्तराखंड की आपदा का जिक्र
आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 पर बोलते हुए गढ़वाली मुहावरे के द्वारा बताया कि किस तरह तीनों मौसम में उत्तराखंड की जनता आपदा से जूझती है
इससे पूर्व भी सांसद बलूनी सदन में गढ़वाली मुहावरों और वक्तव्यों के साथ संबोधन करते रहे हैं
लगोंदु मांगल, त औंदी रुवे।
नि लगौंदूं माँगल, त असगुन ह्वे।।
( अगर मंगल गीत गाऊँ, तो रोना आता है। और ना गाऊँ तो अशुभ होता है)
12, दिसंबर 2024 नई दिल्ली
गढ़वाल से लोकसभा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख श्री अनिल बलूनी ने उत्तराखंड की दृष्टि से आपदा प्रबंधन संशोधन विधायक 2024 पर सदन के पटल पर अपने विचार रखे, उन्होंने कहा कि आपदा और उत्तराखंड का चोली दामन का साथ है। सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसम में अलग-अलग किस्म की आपदाओं से उत्तराखंड राज्य की जनता जूझती है। उन्होंने सदन में राज्य की इन परिस्थितियों पर गढ़वाली मुहावरे के माध्यम से अपनी बात कही –
लगोंदु मांगल, त औंदी रुवे।
नि लगौंदूं माँगल, त असगुन ह्वे।।
( अगर मंगल गीत गाऊँ, तो रोना आता है। और ना गाऊँ तो अशुभ होता)
सांसद बलूनी ने गढ़वाली मुहावरे के माध्यम से कहा कि उत्तराखंड की जनता हर मौसम में आपदा से जुड़ती है जिसके लिए एक विशेष नीति बनाने की आवश्यकता है।
श्री बलूनी ने कहा कि मैं देवभूमि उत्तराखंड से आता हूं। उत्तराखंड चीन तिब्बत और नेपाल से लगा हुआ प्रांत है। मेरा राज्य नैसर्गिक रूप से बहुत सुंदर है। पहाड़ हैं, नदियां हैं, हिमालय है, ग्लेशियर है, झीलें हैं, विस्तृत घास के बुग्याल है फूलों की घाटी है।
किंतु मेरा प्रांत सर्दी, गर्मी, बरसात तीनों मौसम में आपदा से भी जूझता रहता है। गर्मियों के मौसम में हमारे जंगल जल रहे होते हैं, चीड़ के ज्वलनशील पत्ते और सूखी घास पहाड़ के पहाड़ जला देती है। ये आग महत्वपूर्ण वनस्पति, जड़ी बूटी, वन्य जीव, घोसले, झाड़ी और बिलों में रहने वाले प्राणियों को जला डालती है।
उसके बाद बरसात में पहाड़ों में भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही मच जाती है। बिजली, पानी, सड़क के अवरुद्ध होने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। अनेक नागरिक हताहत हो जाते हैं। आपदा राहत भी मौके तक नहीं पहुंच पाती है।
गढ़वाल सांसद ने कहा कि सर्दियों का मौसम भी कम पीड़ा दायक नहीं होता है। बर्फबारी से जनजीवन रुक जाता है। सड़के अवरुद्ध हो जाती हैं। पानी की लाइन जम जाती है।
तीनों मौसम हमारे लिए भारी पड़ते हैं। इतनी कठिनाई के बावजूद भी सीमा के सैनिक की तरह हमारे इस सीमांत प्रांत के नागरिक अपने गांवों को आबाद रखे हुए हैं।
पिछले 10 वर्षों में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में आई हर आपदा में राज्य सरकार को हर संभव सहायता प्रदान की है । इस विधेयक से आपदा प्रबंधन को और बल मिलेगा और उत्तराखंड जैसा राज्य हर संभावित आपदा को निपटने में सक्षम होगा । मैं इस बिल का पूर्णता समर्थन करता हूं।