-धर्म, कौतुहल एवं संस्कृति की त्रिवेणी है तिमुंडिया देव उत्सव
चमोली
जोशीमठ के नृसिंह मठांगन में आयोजित हुआ तिमुंडिया देव उत्सव
-धर्म, कौतुहल एवं संस्कृति की त्रिवेणी है तिमुंडिया देव उत्सव
जोशीमठ नृसिंह मठांगन में शनिवार को तिमुंडिया देव उत्सव का आयोजन हुआ, जिसे देखने हजारों की संख्या में भक्त मठांगन में पहुंचे। बदरीनाथ धाम की यात्रा शुरू होने से पहले जोशीमठ के हक हकूकधारियों के द्वारा तिमुंडिया देव उत्सव का आयोजन किया जाता है ।इस देव उत्सव की विशेषता यह है कि इसमें तिमुंडिया के पश्वा भुवनेश्वरी के निशान की परिक्रमा करते हुए एक पूरे बकरे को खाने के बाद ,4 टोकरे गुड मिला चांवल खाते हैं व 4 घडे पानी पीते हैं। तिमुंडिया देव उत्सव के दौरान हल्की बारिश के बीच भी हजारों की संख्या में भक्त मठांगन में डटे रहे। बता दें कि इसी देव उत्सव के साथ श्री बदरीनाथ जी की यात्रा का धार्मिक शुरूवात मानी जाती है।
प्राचीन काल से चली आ रही परम्परानुसार बदरीनाथ की यात्रा शुरू होने से एक सप्ताह पूर्व आने वाले शनिवार को तिमुंडिया देव उत्सव का आयोजन होता है व इसी देव उत्सव के आयोजन के साथ बदरीनाथ जी की यात्रा का आगाज माना जाता है।
प्रचलित दंत कथा के अनुसार आदि काल में जोशीमठ निकट एक तीन सिर वाले राक्षस का आतंक था। राक्षस अकसर ग्रामीण और उसके मवेशी को खा जाता था, इसी दौरान एक बार जोशीमठ की अधिष्ठात्री देवी मॉ दुर्गा अपने क्षेत्र भ्रमण में निकली और ग्रामीणों के अनुरोध पर मा दुर्गा ने इस राक्षस से युद्ध में उसके दो सिर काट डाले। तिमुंडिया डर कर मॉ की शरण में चला आया, जिसके बाद मा दुर्गाने उसे अपने मठांगन में अपने द्वारपाल व क्षेत्र के रक्षक के रूप में स्थापित कर दिया। मॉ ने तिमुंडिया को आश्वस्थ किया कि प्रतिवर्ष बदरीनाथ की यात्रा शुरू होने से पहले क्षेत्र के हक हकूकधारी तिमुंडिया की पूजा करेंगे व उसे भरपेट भोजन भी देंगे, तभी से तिमुंडिया देव उत्सव की यह परंपरा आज तक चली आ रही है।