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इन्द्रासनी मॉ के दरवार में भक्तों का तांता,

इन्द्रासनी मॉ के दरवार में भक्तों का तांता,
12 वर्ष में जैसा कुभं होता है। वैसे ही मॉ की पूजा होता है।
दो माह देवरा यात्रा के बाद मॉ अपने गर्भगृह में 7 फरवरी को होगी विराजमान।
मॉ ने की क्षेत्र की खुशहाली के लिए पथ भ्रमण, धियाणीयों की ली कुशल खेम।
मॉ को पूजा जाता है बैशणवी के रूप में। मॉ को सोने का श्रृगार पंसद नहीं
रूद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकास खण्ड की फुटगर पटटी के 2 दर्जन से ज्यादा गॉवों की अराध्य देवी मॉ इन्द्रासणी के मुख्य मंदिर कण्डाली में मॉ का दो महीने देवरा भ्रमण करने के बाद मॉ नो दिन का महा यज्ञ चल रहा है। जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु अपने अराध्य देवी के दर्शन के लिए पहॅूच रहे हैं।

-रूद्रप्रयाग जनपद के कण्डाली गांव में मॉ इन्द्रासनी का भव्य दिब्य और अलौकिक मंदिर है। जहां मॉ विराजमान रहती है। इसी मुख्य मंदिर में मॉ के रक्षक के रूप में पूज जाने वाले क्षेत्र पाल व स्वंम संसार के रचियता भोले शिब का भी मंदिर है। मंदिर मठाधीश बताते है। कि मॉ का ये जो मंदिर है उसकी विशेषता केदारखण्ड में खूब मिलता है। मॉ को इन्द्र की परी या इन्द्र के सिहासन में बिराजमान होने का नाम से ही पता चलता है। मॉ एक शुद्ध बैश्णवी के रूप में पूजी जाती हैं मॉ को श्रृगार पसंन्द नहीं है। मॉ केवल पीले परिधान पसन्द करती हैं मॉ को कई नामों से भी जाना जाता है। जैसे इन्द्राणी, इन्द्रासनी नामो से जाना जाता है। मॉ के सोना पसन्द नहीं है। मॉ किसी पर अवतरित नहीं होती है।मॉ के मंदिर में कोई श्रीफल नहीं चढ़ता है। मॉ को केवल पीले फूल एवं पीले परिधान ही पसन्द हैं मॉ की एक और विशेषता है कि जो व्यक्ति सर्प दोष एवं सांप द्धारा काट दिया जाता हैं तो मॉ के मंदिर में उस व्यक्ति को लाया जाता हैं और मॉ के संख का पानी उस व्यक्ति उपर छिडक दिया जाता हे और एक रात्रिको मंदिर में रख दिया जाता है दूसरे दिन सुबह वह व्यक्ति ठीक होकर वापस चला जाता है। मॉ को मनोकामना देवी के नाम से भी जाना जाता है। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मॉ से प्रार्थना करता हैं उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। मॉ अपने दो महिने देवरा भ्रमण पर क्षेत्र में गयी और अपने क्षेत्र की खुशहाली और धियाणीयों की कुशल खेम पूछ कर वापस आने के बाद मॉ ने सूर्यप्रयाग में गंगा स्नान कर अपने मुख्य मंदिर में 9 दिन का अखण्ड यज्ञ के बाद मॉ को अपने गर्भ गृह में विराजमान कर दिया जायेगा। मॉ का यह देवरा यात्रा 12 वर्ष में हो रहा है।
सुरेन्द्र प्रसाद चमोली
ममता मेहरा श्रद्धालु
लक्ष्मी देवी भटट् स्थानीय निवासी धियाणी

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