75 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति दे रहा हैं एक दर्जन से ज्यादा लोगों को रोजगार
75 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति दे रहा हैं एक दर्जन से ज्यादा लोगों को रोजगार
दिब्यांगता के बाद भी लब मैरिज क्या कहानी
75 प्रतिशत दिब्यांगता होने के बाद भी कभी हार नहीं मानी ,
जब मन में जुनुन जज्जबा हो तो दिब्यांगता भी आडे़ नहीं आती है। ऐसा ही एक ऐसी सखशियत से आज आपका परिचय करा रहे हैं। वैसे जनपद मुख्यालय और मुख्यालय के आस -पास के लोग मुकेश सिहं बिष्ट के परिचय का मोहताज नही है। हर कोई उन्हे पहिचान लेता हैं क्येांकि दिब्यांगता के बाद भी एैसी पहिचान बना रखी है। कि आज उनका सब फैन या मुरीद हेा रखे है। जी हॉ मुकेश विष्ट जी के अपने दो मोटर गैराज है। दोनों में गाड़ीयों ठीक किया जाता हैं कि डेन्ट पेन्ट से लेकर हर किसी प्रकार की गाडीयों को करके लोग खुश रहते हैं गाडीयांें की लम्बी कतार उनके गैराज में हमेशा लगी रहती है। हर कोई उनके कार्य से प्रभावित है। और खुश होकर काम करता है। मुकेश भी लगन से काम करता है।
मुकेश विष्ट की अगर परिवार की बात करें तो मुकेश के तीन भाई हैं एक भाई फोैज में एक भाई को मुकेश गाड़ी खरीद कर दी हैं और मुकेश गैराज में भी काम करता है। मुकेश के माता पिता अभी जिंदा है। मुकेश की पत्नी काफी खुश मिजाज है। उसकी पत्नी ने बताया कि हमारी लब मैरिज हुई है। और हमारे दो बच्चे है। एक बच्चा 12 साल का हैं जो 6 क्लास में पढता है। और अभी उसका नम्बर सैनिक स्कूल मे ंचयन हुआ था लेकिन राजस्थान में उसका नम्बर आया इतनी दूर और गर्मी के कारण मैने उससे वहां नहीं भेजा अब राजीव गांधी नवोदय स्कूल में एडमिशन कराने आज ही जा रहे हैं परिवार काफी खुश है। उनकी पत्नी बिलकुल फिटफोर हैं। जब उनसे पूछा की आप तो बिल्कुल सही हो और आपने एक विकलांग से सादी कि तो उनका कहना था कि हमारी लबमैरिज कोर्ट में हुई है और अब हम बहुत खुश है। मेरे साथ देखिये पूरी स्टोरी दिब्यागं एक अभिशाप आप अपने कमेन्ट लाइक एंव संस्कराब करके अपनी राय हमें दे बताये कि दिब्यांगता कभी आडें आ सकती है।