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कुण्डलेश्वर रामलीला समिति के सौजन्य से हो पाई 39 साल बाद रामलीला फिर शुरू हो पाया मंचन

स्पेशल रिर्पोट हरेन्द्र नेगी
39 साल बाद संभाली दादा और पिता की दी हुई धरोहर ।
39 साल पहले हुई रामलीला को एक बार फिर से पोते/पुत्र ने साकार करके दिखाया।
4 ग्राम पंचायतों ने मिलकर की रामलीला का मंचन
कुण्डलेश्वर रामलीला समिति के सौजन्य से हो पाई 39 साल बाद रामलीला मंचन।
स्पेशल रिर्पोट हरेन्द्र नेगी
कर्मभूमि दिल्ली, मातृभूमि ,जन्मभूमि जब देवभूमि में हो और अपने पुरखों की दी हुई धरोंहर हाथ से जा रही हो, तो और उससे हर बार अपने जीवन काल में याद कर रहे हो या याद आ रही हो तो निश्चित रूप से वह व्यक्ति भयानक कठिन दौर से या उन प्रेणाओं से गुजर रहा हो जिससे वह हमेशा कुंठित हो रहा हे, ऐसा ही हमकों देखने को मिला। जब दो पीड़ी द्धारा उस धरोहर को शुरू किया गया हो और वर्षों तक उस धरोहर को फिर से साकार न किय गया हे तो उसको खलने लगता है और अपने आप में ग्लानि महसूस होने लगती हैं ऐसा ही एक एैसा वाक्य हम आपको आज बताते है। देखिये पूरी रिर्पोट हरेन्द्र नेगी ’—-

कहानी चलणस्यूॅॅ पटटी के उन चार ग्राम पंचायतों की है। जहां 39 साल पहले स्व0 श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी व उनके पुत्र चन्द्र सिहं नेगी ग्राम -मुसोली वाले एवं इनके सहयेगी अन्य लोग जो आज र्स्वर्गी हो गये हैं। उनके द्धारा 39 साल पहले लंग्वालियों बगड़ में रामलीला का मंचन हर वर्ष करवाते थे। इनकी टीम उस समय के फांउडर मेंमबर थे इस रामलीला समिति में चार ग्राम पंचायत थी, जिसमें मुसोली, कफोली, गजेली, कण्डोली की ग्राम पंचायतों ने बीच मध्य में रामलीला का आयोजन /मंचन उस विषम परिस्थितियें में किया जब संसाधनों की कमी थी लेकिन फिर भी रामलीला का मंचन हर वर्ष्ा होता रहा । लेकिन इनके गुजरने के बाद धीरे-धीरे रामलीला का मंचन बंद हे गया।
एक बार फिर से स्व0 सुरेन्द्र सिहं के पौत्र राजेन्द्र सिहं नेगी मुसोली वाले जो वर्तमान समय में दिल्ली में निवासरत के साथ नौकरी यानि कर्मभूमि भी दिल्ली हैं। ने सोचा कि प्रत्येक गांव हर वर्ष गॉवों में रामलीला हो रही है। और हमारे यहां 39 साल बीत गये लेकिन रामलीला का मंचन नहीं हो पा रहा है। सब जगह रामलीला का मंचन किया जा रहा है और हमारे पूर्वजों ने जिनके द्धारा 39 साल पहले ये मचंन किया था वह बंद पड़ा है क्यें न हम भी एक बार फिर से कोशिश करके रामलीला का मंचन शुरू करें। और मन में जब ठान दी तो स्थानीय लोगों एवं सहयोगीयों से मंत्रणा की क्या ये हो सकता है। तो सभी लोगों ने सहमति जताई, और एक बार फिर 39 साल बाद फिर से चार ग्राम पंचायतों के लोगों ने यह बीड़ा उठाया, और भब्य रामलीला का आयोजन किया, जिसमें इस क्ष्ेत्र के स्थानीय लोगों ने बढ-चढ़ कर भाग लिया। उस जमाने में रामलीला का मंचन करना कोई आसान नहीं था। और सब लोगों को साथ लेकर चलना मुश्किल कार्य था लेकिन आज सब संसाधन उपलब्ध होने के बाद भी असंभ्भव जैसा हे रहा हैं इसका मुख्य कारण लोगों में एकता की अधूरता है। यूनिटी न होना एक सबसे बढ़ा द्योतक बन चुका है।
लेकिन एक बार फिर अपने पूर्वजों की दी हुई धरोहर को जीवित किया है तो मुसोली के राजेन्द्र सिहं नेगी एवं गोर्बद्धन प्रसाद उनियाल ने इसमे अहम भूमिका निभाई हैं और इन्ही के द्धारा 39साल बाद इस रामलीला का मंचन किया गया हैं जो आज समाप्त हो गया।
इससे समय का अभाव कहें या कर्म के लिए बाहर जाना अपने परिवार के भरण पोषण के बाद भी मन में अगर एैसा हर समय आये कि काश हम लोग भी अपने क्षेत्र घर गॉव में रामलीला का मंचन कर सकते तो हम भी कितने धन्य होते जिन्होने हमें ये धरोहर दी थी और उस धरोहर के आगे बढा सकते, लेकिन संघर्ष और मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
आज भी लोग इनके द्धारा किये गये सराहनीय कार्य व सही समय पर सही निर्णय और उस धरोहर को साकार करने पर क्षेत्र के लोग उन्हे अपना आर्शीवाद देने से नहीं थक रहे हैं। वर्तमान समय में इस समिति में विजय सिहं नेगी अध्यक्ष, मीना गैरोला गोस्तु,राजेन्द्र सिहं नेगी महासचिव ,
कुलदीप नेगी सचिव,दीनदयाल बुटोला,सुधीर घिल्डियाल रामलीला निर्देशक,धूमसिहं बुटोला,विशम्भर दत्त खण्डूरी,डिग्मबंर सिहं रावत प्रधान कफोली, एवं क्षेत्र के गणंमान्य एवं अन्य सहयोगी लोगों ने भरपूर तन मन धन दिया और राम नाम का लेकर भरपूर आंन्नद लिया। और भगवान राम से प्रार्थना की इस क्षेत्र में सुख शांति और हमेशा आपको याद करते रहेगें और अब हर वर्ष समय रहते रामलीला का मंचन करायेगें।

 

 

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