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नेताओं की दिल्ली दौड़

नेताओं की दिल्ली दौड़
इन दिनों रूद्रप्रयाग जनपद छूट भैये और बड़ भैय नेताओं के लम्बे सफेद कुर्ते पैजामाओं की दौंड़ दिल्ली और देहरादून और पब्लिक में जाने की लगी हुई है। एक तरफ जनता से दूर नहीं हो सकते तो दूसरी तरफ देहरादून और दिल्ली की दौड़ रात दिन लगे हुए है। कोई कोर कसर न छूट जाये और जिसका कुर्ता पैजामा जितना सफेद और लम्बा चौड़ा उतना ही अपने आप को बड़ा नेता मान रहा है। पार्टी के मण्डल संगठन से लेकर प्रदेश संगठन और राष्ट्रृीय संगठन तक अपनी पहॅूच बताने वाले लम्बे कुर्ता पैजामा वाले नेता जी आजकल रात दिन केदारनाथ विधानसभा में उप चुनाव के लिए टिकट की दौड़ में घूम रहे हैं भले ही जनता की हित की बात न हो पर अपने हित की बात जरूर नेताजी अपना जीवन परिचय नेताओं से करा रहे हैं। अपना बड़ा बायोडाटा बनाकर जिलास्तर से लेकर राज्य स्तर और केन्द्र स्तर तक अपने द्धारा जनता के लिए समर्पित का जो बायोडाटा बना रखा है उसमें राष्ट्रृीय संगठन कितनों का परिजय पत्र देखती हैं और कितनेां को दिल्ली और देहरादून की दौड़ कराती हैं किसी को तो यह कहा जायेगा कि अभी आप नेता लाइक परिपक्व नही हुए अभी आपको जनता के बीच में जाना होगा संगठन के लिए काम करना होगा आपने ने जनता के लिए अभी कोई कार्य नहीं किया लेकिन कुछ एैसे भी नेता हैं कि जो अपनी जनता के बीच मे ंबिना काम करके संगठन के आगे सबसे अधिक काम करने का सार्टिफिकेट भी दे रहे होगे। अब देखना होगा कि दिल्ली और देहरादून का संगठन किसको कितने दिन तक भगता है। ये देखने वाली बात होगी। अभी 28 तारिख तक दिल्ली बहुत दूर है। और केदारनाथ के विधानसभा की सीट पर बैठने के लिए जनता के बीच से गुजरना होगा जनता के पूछे गये सवालों के जबाब देने होगें उनके बीच में खरा उतरना होगा तभी जनता की परीक्षा में पास होना होगा। दिल्ली की दौड और देहरादून की दौड से मतलब नहीं जनता की बीच की दौड़ मान्य रखती है
हरेन्द्र नेगी

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