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ॐ पर्वत से कैसे गायब हो रहा है ॐ

देवों के देव और देवभूमि में विराजमान ओम पर्वत जिससे साक्षात शंकर भगवान का ओम आकार का आसन माना जाता है। उस शंकर भगवान के ओम आकार पर्वत पर संकट के बादल मड़़राने का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिस प्रकार से उत्तराखण्ड़ के हिमालयी क्षेत्रों पड़ रही गर्मी और सर्दीयों में कम बर्फ गिरने के कारण हिमालय के ओम पर्वत पर बर्फ कम पड़ने के कारण ओम पर्वत की आकृति नहीं दिखाई दे रही है। ओम का आकार काला पहाड़ जैसा दिखाई दे रहा है। अगर एक बार फिर से हिमालय में अगर बर्फ अत्यधिक पड़ जाती हैं तो एक बार फिर से ओम का आकार दिखाई देगा। बैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण एैसा हो रहा है।

जिससे हिमालय क्षेत्रों में इस प्रकार की खबरें चिंता का सबक तो नहीं है। भगवान शिब का आशियाना को भगवान शिव का घर भी माना जाता है। ये पर्वत श्रृखला उत्तराखण्ड़ के पिथौरागढ़ में हिमालय में विराजमान ओमपर्वत है। करोड़ों – करोड़ों हिन्दुओं का आस्था का केन्द्र और ओम आकार सुनते ही पूरे ब्रहमाण जैसे आकृति हमारे मन में आ जाती है। जब भी हम लोग किसी भी अच्छे कार्य को प्रारम्भ करते हैं तो हमेशा ओम शब्द का प्रयोग कर भगवान शिव की आकृति और ओम पर्वत की आकृति सामने दिखाई देती है। लेकिन जिस प्रकार से गर्मी बढती जा रही है और सर्दीयों में बर्फ हिमलालय क्षेत्रो में नहीं पड़ रही है। उससे वैज्ञानिकों में चिन्ता बढ गयी है। बैज्ञानिक इससे दो तरीके से देखते है। एक देवभूमि के ओम पर्वत के आकार जिससे पाड़वों के द्धारा जब पाड़ण्व र्स्वगारेाहिण जा रहे थे तो भीम द्धारा शिव की उपासना करने के वाद ओम पर्वत श्रृखला पर ओम की आकृति बनाई थी तबसे ओम की आकृति दिखाई देती है। और इस पर्वत पर आज तक कोई भी नहीं पहॅॅूच पाया है। दूसरा ग्लोबल वार्मिगं के कारण ओम पर्वत पर बर्फ के पिघल जाने से ओम की आकृति धीरे धीरे बिलुप्त होती जा रही है और ओम पर्वत काला और खाली दिखाई दे रहा है। ये चिन्ता का सबब है हरेन्द्र नेगी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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