रुद्रप्रयाग

#तुंगनाथ -अलौकिक ,अकल्पनीय,अदृश्य विश्व का सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान तुंगनाथ धाम#

एक्स्क्लूसिब रिर्पोट-विश्व की सबसे उंची चोटी पर विराजमान तुंगनाथ का मंदिर विश्व के सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान पंचकेदारों में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ का मंदिर 13 हजार 500 फीट पर स्थित है। आज हम आपकों इस धाम के आस- पास और चोपता तुंगनाथ बाजार से लेकर मंदिर परिसर व उसके आस पास के सुन्दर ,रमणीक अलौकिक, अकल्पनीय, अदृश्य नजारों के दर्शन के साथ उत्तराखण्ड़ सरकार और भारत सरकार के द्धारा इस क्षेत्र की घोर उपेक्षा की कहानी आपके सम्मुख रखने जा रहे हैं। दूर से निहारती ये आखें मानों जिन्दगी की -अलौकिक, अकल्पनीय ,अदृश्य,दर्शनीय, रमणीय मानों भगवान शिव ने सब कुछ यहीं न्यौछावर किया हो ,कहते हैं अगर स्वर्ग की अनुभूति होती है, तो यहीं पर मानों हमेशा यहीं के हो जाये, ऐसे सुन्दर स्थान को देखकर जो भी धार्मिक आस्थावान , तीर्थाटन, पर्यटन, पर्यटक,स्थल पर यहां आता हैं बार-बार दूर -दूर तक निहारता रहता है। मानों सब कुछ स्वर्ग की जनत मिल गयी होगी। मिलेगा भी क्यों नहीं इतना सुन्दर स्थान जो है भगवान शिब का। सुन्दर मखमली बुग्याल, कई किस्म के बुॅराश , चारों ओर हिमालय से घिरा हिमछाद,से ढक्का हिमलाय की उंची शिखर, सदाबहार वन देबदार और अन्य बडे-बडे पेड उनकी हरियाली, देखकर आखों में जो सुकुन मिलता है माना स्वर्ग की अनुभूति सी हो जाती है। जो भी पर्यटक यहां आता है उसको भागदौड़ की जिन्दगी के दो पल के फुर्सत के छण तो यहां मिल ही जाते हैं,तुंगनाथ चोपता दुग्लबिटटा का नाम सुनते ही मन में कौतुहल सा होने लगता है इतने सुन्दर स्थल पर आने के लिए हर कोई चाहता है कि वह इन सुन्दर नजारों koअपनी इन सुन्दर आखो से देखे तो लोग इस स्थान को मिनी स्वीजरलैण्ड से नबाजते हैं। विकास के नाम दाग/धब्बा – भारत सरकार और उत्तराखण्ड़ सरकार की लापरवाही के कारण इस सुन्दर रमणीक स्थान पर हर साल दाग भी लगता जा रहा है इसका मुख्य कारण सरकार की उदासीनता के कारण ये हो रहा है जितना सुन्दर ये स्थान हैं उतना ही दूषित करने का कारण भी हमारी सरकारों को जाता है उदासीनता पर स्थानीय व व्यापार संघ के प्रतिनिधि आरोप लगाते है। क्षेत्र में /अनयत्रित विकास हो रहा है। सरकार की नजरो में ये स्थान सैन्चूरी क्षेत्र में आता है। लेकिन अतिक्रमण के नाम पर अन्धाधुन्ध कार्य हो रहा हैं ये किसकी शरण में हो रहा है। स्थानीय लोगेंा का आरोप है कि सरकार की उदासीनता के कारण यहां का विकास ढप्प पड़ा हुआ है। सैन्चुरी के नाम पर रोक- भारत सरकार ने इस क्षेत्र को सैन्चूरी क्षेत्र घोषित किया हुआ है इस क्षेत्र के 200 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं किया जायेगा लेकिन यहां पहॅूचने वाले लोगों को कौन रोकेगा, हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन यहां आ रहे हैं उनको न तो शौचालय की सुविधा हैं न पानी की सुविधा हैं और ना ही विधुत की सुविधा है। अगर आपको तुंगनाथ का ट्रृैक या तुगंनाथ भगवान के दर्शन करने है तो आपको ये सारी सुविधा 5 किलोमीटर तक कुछ नहीं मिलेगा न आपको लैटिन बाथरूम मिलेगा न आपको इस पैदल मार्ग पर पानी मिलेगा न आपकों बिजली मिलेगी, हजारों की संख्या में सैन्चूरी जैसे क्षेत्र में दिन रात गाडीयों का रैला चलता रहता है पांच किलोमीटर का जाम और गाड़ी लगाने के लिए कहीं भी जगह नहीं है। महिलाओं के लिए कहीं भी शैाचालय की व्यवस्था नहीं है। जिसको भी जाना है खुले में जाना हैं व्यापार संघ चोपता के व्यापारी आरोप लगाते है कि सरकार की उदासीता के कारण ये सब कुछ हो रहा है। दीनदयाल उपाध्य विधुत के माध्यम से 2017 में तुंगनाथ क्षेत्र के दीनदयालु विधुत योजना के तहत 20 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए ह,ै लेकिन भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय द्धारा इस रोक लगा रखी है। वैसे ही 20 लाख लैटिन सौचालय बनाने के लिए पैसा स्वीकृत हो रखा हैं पानी के लिए 30 लाख लीटर का लोहे का पानी का टैंक स्वीकृत हो रखा है। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय द्धारा इस पर भी रोक लगा रखी हैं ऐसे में इस क्षेत्र का क्या विकास कैसे होगा कुछ कहा नहीं जा सकता है। सरकार की आखों में पटटी बंधी हुई है। जब इतने लोग यहां आ रहे हैं तो व्यवस्था करने में क्या हो रहा है। क्या यहां के लोगो को रोजगार नहीं चाहिये यहां का आदमी दो जून की रोटी के लिए बाहर जायेगा बाहर का व्यक्ति यहां अतिक्रमण करके रोजगार कर रहा हैं और यहां व्यक्ति को यहां व्यापार नहीं करने दिया जा रहा है करें तो क्या करें हमारे द्धारा कितनी बार लिख पढी कर दी गयी है। मंत्री संतरी के पास जाकर थक हार गये है। पत्रावली चला चला कर फाइले जख खा रही है। लेकिन सरकार के कानेां में जॅू तक नहीं रेग रही हैं। जब इस पर जिलाधिकारी से सवाल किया गया तो उन्होने कहा कि चोपता तुंगनाथ के लिए केदारनाथ वनप्रभाग के डीएफओं से इस सम्बन्ध में पत्रावली जारी है जो व्यवस्था यात्रियों की सुविधा के लिए की जानी हैं उसके लिए प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं,पर्यावरण की दृष्टिगत नजर रखी जा रही है।#tungnathtemplewasworldhighsttimple#tungnathandchoptadugglebettawasverybeutifulplace#

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